क्या हैं हलाला, हुल्ला, खुला और तीन तलाक?

Tripple Talaq

Share Now

हर तरफ हलाला, इदद्त, खुला और हुल्ला की चर्चा है। आइए जानें कि क्या हैं सब, और इसमें इस्तेमाल अरबी शब्दों के मतलब क्या हैं। इन शब्दों को समझे बिना तीन तलाक को भी आसानी से नहीं समझा जा सकता है। तलाक़ अच्छी चीज़ नहीं है। कोई भी इसे पसंद नहीं करता। इस्लाम में भी यह बुरी बात मानी गयी है।

लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि तलाक़ का हक ही छीन लिया जाए। यह जानना जरूरी है कि किसी भी धर्म की तरह इस्लाम में भी तलाक को वैवाहिक संबंध में बिगाड़ के बाद के आखिरी विकल्प के रूप में देखा जाता है। परिवार सहित सभी रिश्तेदारों पर संबंधों को बचाने की जिम्मेदारी की बात इस्लामिक धर्मग्रंथ करते हैं।

इद्दत क्या है?

इद्दत क्या है इसे पहले समझते हैं। तलाक के बाद लडक़ी मायके वापस आती है। इद्दत के तीन महीने बिना किसी पराए आदमी के सामने आए पूरा करती है ताकि यदि लडक़ी प्रेग्नेंट हो तो ये बात सभी के सामने आ जाए। जिससे उस औरत के चरित्र पर कोई उंगली न उठा सके और उसके बच्चे को नाजायज़ न कहा जा सके।

इसके पीछे समाज की पुरुष-वादी मानसिकता है क्योंकि धर्म चाहे कोई भी हो, समाज में लडक़ी ही परिवार की इज्जत की ठेकेदार होती है।

हलाला क्या है?

हलाला यानी निकाह हलाला। शरिया के मुताबिक यदि एक पुरुष ने औरत को तलाक दे दिया है तो वो उसी औरत से दोबारा तब तक शादी नहीं कर सकता, जब तक वह औरत किसी दूसरे पुरुष से शादी कर तलाक न ले ले। लेकिन यह जानना जरूरी है कि यह इत्तिफ़ाक से हो तो जायज़ है।

जान बूझ कर या योजना बना कर किसी और मर्द से शादी करना और फिर उससे सिर्फ इस लिए तलाक लेना ताकि पहले शौहर से निकाह जायज़ हो सके यह साजिश नाजायज़ है और अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने ऐसी साजिश करना गलत बताया है।

निकाह हलाला क्या है?

औरत की दूसरी शादी को निकाह हलाला कहते हैं। कहा जाता है कि औरत के दूसरे मर्द से शादी करने और संबंध बनाने से उसके पहले पति को दुख पहुंचता है और अपनी गलती का एहसास होता है। पर इस प्रथा की आड़ में कई बार औरत की जबरदस्ती दूसरी शादी करवा कर दी जाती है। ताकि उस औरत से फिर से पहला पति शादी कर सके।

ऐसे कई मामले पिछले कुछ समय में सामने आए हैं। ऐसे में यदि मर्द फिर से अपनी तलाकशुदा बीवी को पाना चाहे तो वह तब तक नहीं पा सकता जब तक उस औरत ने फॉर्मल तरीके से दूसरे मर्द से शादी न किया हो और उसके बाद उससे तलाक न ले लिया हो।

कुरान में हलाला पर क्या है?

इस्लाम में असल हलाला का मतलब होता है कि एक तलाकशुदा औरत अपनी मर्जी से किसी दूसरे मर्द से शादी करे और इत्तिफाक से यदि उनका भी रिश्ता निभ न पाया हो और वो दूसरा शौहर भी उसे तलाक दे-दे या मर जाए तब ऐसी स्थिति में ही वह औरत पहले पति से दोबारा निकाह कर सकती है।

ये असल इस्लामिक हलाला है। पर इसमें अपनी सहूलियत के हिसाब से काजी-मौलवी के साथ मिलकर लोग प्रयोग करते रहे हैं।

हलाला का नया रूप है ‘हुल्ला’

ऐसा बहुत कम बार होता है जब पहला पति फिर से अपनी बीवी से शादी करना चाहे ये किसी बड़े इत्तेफाक के चलते होता है । पर अक्सर होता ये है कि तीन तलाक की आसानी के चलते अक्सर बिना सोचे-समझे मर्द तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोल देते हैं। बाद में जब उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है तो वे अपना संबंध फिर से उसी औरत से जोडऩा चाहते हैं।

ऐसे में ये परिस्थिति अक्सर देखने को मिल जाती है पर फिर से संबंध जोडऩे से पहले निकाह हलाला जरूरी होता है। लेकिन इस्लाम के हिसाब से जानबूझ कर या योजना बना कर किसी और मर्द से शादी करना और फिर उससे सिर्फ इस लिए तलाक लेना ताकि पहले शौहर से निकाह जायज हो सके यह साजिश नाजायज है।

पर इसका इंतजाम भी है क्योंकि इसका एक पहलू ये भी है कि यदि मौलवी हलाला मान ले तो समझे हलाला हो गया। इसलिए मौलवी को मिलाकर किसी ऐसे इंसान को तय कर लिया जाता है जो निकाह के साथ ही औरत को तलाक दे देगा। इस प्रक्रिया को ही हुल्ला कहते हैं। यानी हलाला होने की पूरी प्रक्रिया हुल्ला कहलाती है।

खुला क्या है?

यदि सिर्फ बीवी तलाक चाहे तो उसे शौहर से तलाक मांगना होगा। जाहिर है यदि शौहर तलाक नहीं चाहता होगा तो वो अपनी बीवी को समझाने की कोशिश करेगा और यदि वह फिर भी न माने तब उसका पति उसे एक तलाक दे देगा। लेकिन यदि पत्नी के तलाक मांगने के बावजूद उसका पति उसे तलाक नहीं देता तो बीवी के लिए इस्लाम में यह आसानी रखी गई है कि वो शहर काज़ी (जज) के पास जाए और उससे शौहर से तलाक दिलवाने के लिए कहे।

इस्लाम ने काज़ी को यह हक़ दे रखा है कि वो उनका रिश्ता ख़त्म करने का ऐलान कर दे, जिससे उनकी तलाक हो जाएगी, कानून में इसे खुला कहा जाता है। असल में यही तलाक का सही तरीका है लेकिन अफ़सोस की बात है कि हमारे यहां इस तरीके की खिलाफ लोग चले जाते हैं और बिना सोचे समझे तीन बार तलाक बोल कर लोग तलाक दे देते हैं।

इस्लाम के खिलाफ जा कर बिना सोचे-समझे वे खुद भी परेशानी उठाते हैं और इस्लाम की भी बदनामी करते हैं।

 

18 thoughts on “क्या हैं हलाला, हुल्ला, खुला और तीन तलाक?”

  1. When someone writes an article he/she keeps the idea of a user in his/her mind that how a user can understand it. So that’s why this post is great. Thanks!

  2. Thank you for your sharing. I am worried that I lack creative ideas. It is your article that makes me full of hope. Thank you. But, I have a question, can you help me?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *