स्वर्ग जैसा लगा रूपशू घाटी का दृश्य

रूपशू घाटी

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जम्मू-कश्मीर के लद्दाख जिले की रूपशू घाटी की यात्रा के १९ दिनों के अनुभव को हल्द्वानी के मनीष चौधरी ने शेयर किया। खतरों से खेलने का दम, कुछ नया देखने और महसूस करने की ललक, रहस्य-रोमांच की अनुभूति का आनंद और दुर्गम घाटियों की अलौकिक सुंदरता निहारने का सुख। ये प्रेरणा कम नहीं, बाइक पर लंबे और दुर्गम रास्ते नापकर एक अजूबी सी दुनिया के सफर के अनोखे अनुभव के लिए।

रूपशू घाटी
रूपशू घाटी

पिछले २० सितंबर को हल्द्वानी से सुबह ४ बजे सोलो बाइक राइड शुरू हुई थी। मनाली होते हुए रोहतांग दर्रा पार करके जिस्पा पहुंचा। उसके बाद सो मुरारी, शिंखुला और वारी ला दर्रे को पार करते हुए रूपशू वैली तक पहुंचने का रिकार्ड बनाया। पिछले ९ अक्तूबर तक यह पूरा सफर ४८७० किमी का रहा।

रूपशू घाटी
शिन्कुला

बेहद खराब रास्ते, डरावना निर्जन क्षेत्र और ऑक्सीजन की कमी के बावजूद जब लद्दाख की रूपशू घाटी पहुंचा तो रोमांचित हो उठा। उस घाटी की दुनिया एकदम बदली-सी दिखी। शिंखुला दर्रे से होकर बहुत कम लोग बाइक से गुजरे हैं। यह दर्रा करीब १६६१५ फुट पर है। खास बात यह है कि इसके ऊपरी हिस्से पर आप सालभर बर्फ देख सकते हैं।

रूपशू घाटी
रूपशू घाटी

इस दर्रे तक पहुंचने के लिए सड़क अभी बन ही रही है, जिसकी वजह से बाइक चलाना काफी मुश्किल हो रहा था। जैसे-तैसे मैंने बाइक शिंकुला दर्रे के शीर्ष पर पहुंचा दी। ये दर्रा जिस्पा से ६२ किमी की दूरी पर है जिसमें ३५ किमी सड़क की हालत बहुत खराब है। जम्मू-कश्मीर के खारू के पास निर्जन और शांत वादियों में सूर्यास्त का नजारा देखने लायक था।

रूपशू घाटी
रूपशू घाटी

पेड़-पौधे विहीन पहाड़ की ओट में सूर्य का छिप जाना रोमांचित करने वाला था। यह पूरा दृश्य किसी चित्रकार की चित्रकारी जैसा लगा। वारी ला दर्रे को भी मैंने पार किया। बाइक से १७४२७ फुट ऊंचाई पर स्थित दर्रे को पार करने में काफी लोग डरते हैं। वारी ला में हिमस्खलन, भारी बर्फबारी और भूस्खलन कभी भी हो जाता है।

मौसम कब बदल जाए कोई नहीं जानता और इतनी ऊंचाई होने की वजह से ऑक्सीजन भी कम ही मिल पाती है। सड़क बहुत खराब है और अगर आपने ब्रेक गलत तरीके से लगा दिए तो ढाल होने की वजह से बाइक के फिसलने का खतरा होता है।

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